मातृत्व की आराधना
मातृत्व की आराधना
नौ महीने गर्भधारण की प्रभुत्व की अद्भुत शक्ति,
स्वयं के रक्त से सींचकर माँ ही नव जीवन देती,
वसुंधरा पर जगत जननी तू ही है अनुपम कृति,
मातृत्व की करुँ आराधना , माँ है शिव भक्ति।।
तोतली वाणी से शब्दों का तू अभ्यास कराती,
पग टेकना, उंँगली पकड़ चलना है सिखाती,
तू ही है जगपालक, तू ही है माँ जगत की सृष्टि,
मातृत्व की करूँ आराधना, माँ है शिव भक्ति।।
तू ही मुझसे बेहतर मेरा भला सदैव चाहती,
हर सुख-दुख में कदम दर कदम साथ निभाती,
मेरे हर दर्द को बिन जुबाँ के तू ही समझ पाती ,
मातृत्व की करूँ आराधना, माँ है शिव भक्ति।।
आखँ बँद करके माँ तुझ पर ईश्वरीय विश्वास करुँ,
माँ की आज्ञा की ना कभी अवहेलना करूँ,
माँ के आँचल की छैया में मिले हर सुख वृष्टि,
मातृत्व की करूँ आराधना, माँ है शिव भक्ति।।
आँखियों के झरोखे में तेरी ही सूरत आती,
तेरा ममतामयी निस्वार्थ प्रेम है गजब चमत्कारी,
तू अविचल अविनाशी गलती में भी क्षमा दिखाती,
मातृत्व की करूँ आराधना, माँ है शिव भक्ति।।