नीर तेरी अजब कहानी
नीर तेरी अजब कहानी
रंगहीन गंधहीन स्वादहीन है तू,
सबको तू अपना लेता,
तू ही सबको जीवन देता,
वाह रे! नीर तेरी अजब है कहानी।।
प्यासी नदियों को श्रृंगार है देता,
सूखे मैदानों को हरा-भरा कर देता,
तेरी धारा पाकर सागर भी राग सुनाता,
तू ही कुँओं को चहकाता,
वाह रे ! नीर तेरी अजब है कहानी।।
सुराही में सुराहीदार बन जाता,
हर खूशबू को तू महकाता,
लाल पीले नीले रंगों को छिटकाता,
वाह रे ! नीर तेरी अजब है कहानी।।
तरलता को भी अपनाता,
जमकर तू ही हिम बन जाता,
गर्मी पाकर वाष्पित हो जाता,
वाह रे! नीर तेरी अजब है कहानी।।
सौ डिग्री पर उबालें लेता,
शून्य पर ठोस हो जाता,
समुद्र से किरणों संग,
बादल बन वर्षा की बोझारें लाता,
वाह रे! नीर तेरी अजब है कहानी।।
तुझ बिन सब खेत खलिहान हैं सूखे,
व्यापकता से बाढ़ संग बहा ले जाता,
जहाज़ को अपने में तैराता,
कील को तू क्यों है डूबाता,
वाह रे! नीर तेरी अजब है कहानी।।
रहागीर की प्यास बुझाता,
सजीव के तन में समाता,
भोजन को स्वादिष्ट बनाता,
निर्मलता से रहना चाहता,
कर्मपथ पर चलना सिखाता,
वाह रे! नीर तेरी अजब है कहानी।।
मंगल उत्सव में पूजा जाता,
तालाब जोहड़ बावड़ी में,
इठलाता बलखाता संँवरता,
बूँद बूँद की कीमत सुनाता,
वाह रे! नीर तेरी अजब है कहानी।।
