हिंदी की सुगंध
हिंदी की सुगंध
हिंदी की सुगंध बड़ी निराली है,
मीठी , स्नेहिल और मतवाली है।
स्वर,व्यंजन का इसमें है ज्ञान,
बोलो, पढ़ो, लिखो बनो विद्वान,
जादू के पिटारे सी अजब है शान,
बारहखड़ी में मानो शब्दों की दिवाली है,
हिंदी की सुगंध बड़ी निराली है,
मीठी, स्नेहिल और मतवाली है।
फूल, पुष्प,सुमन, कुसुम की माला है,
राजा-रानी, ग्वालिन और ग्वाला है,
तम-प्रकाश,विष-अमृत का प्याला है,
बाग-बागों में चिड़िया-चिड़ियों की डाली है,
हिंदी की सुगंध बड़ी निराली है,
मीठी,स्नेहिल और मतवाली है।
संज्ञा ,सर्वनाम के भेदों का जाल है,
क्रिया, विशेषण,विशेष्य का थाल है,
कारक, सन्धि,समास और काल है,
अलंकारों की छवि मानों जैसे ताली है,
हिंदी की सुगंध बड़ी निराली है,
मीठी ,स्नेहिल और मतवाली है।
कथा साहित्य, कहानी का खजाना है,
अनुच्छेद निबन्ध काव्य का तराना है,
लेख जीवनी और नाटक मंचन है,
बाल - गीतों की नन्ही फुलवारी है,
हिंदी की सुगंध बड़ी निराली है,
मीठी स्नेहिल और मतवाली है।