गौतम बुद्ध कर्मफल और विचार
गौतम बुद्ध कर्मफल और विचार
सिद्धार्थ सांसारिक दुखों से हुए आहत भारी,
राजपाठ त्याग सत्य खोज में निकले ब्रह्मचारी,
लोककल्याण हेतु समस्त विश्व में कर्मपथ प्रसारी,
भगवान गौतमबुद्ध से ख्याति प्राप्त शांतिकारी।।
राजा रंक सब अपने-अपने कर्मों के अधिकारी,
कर्मफल मिट सके ना, जाने है सब संसारी,
पागल मनवा समझ तू कर्मों की लाचारी,
बोए पेड़ बबूल के, तो कैसे पाएगा फुलवारी।।
इतिहास गवाह है, गीता पोथी का है सब सार,
धर्म युद्धिष्ठिर को भी प्राप्त हुआ था कर्मफल,
एक-एक ने चखा था.. जस तस का परिणाम,
चित्रगुप्त खाते से प्राप्त होता सब कर्मों का द्वार।।
जीवन उपदेशों को पहचानो कर्मसार को जानों,
क्रोध को प्यार से, निंदा को प्रशंसा से पहचानो
हिंसा पर अहिंसा से विजय प्राप्त करने की ठानो,
जीवन के परम आनंद को मनन पूर्वक पहचानों।।
ज्ञान कपाट के खोलकर निज चक्षु ... .द्वार,
परमार्थ के कर्मफल से ही मिल पाएगा सम्मान,
है भगवान गौतमबुद्ध शिक्षाओं का सम्पूर्ण सार,
बन मानव तू हितैषी और बन जा ! बेहतर इंसान।।