"बालाजी का सहारा"
"बालाजी का सहारा"
जिन्हें यहां पर मैंने दिया,सहारा
उन्ही लोगो ने कर दिया,बेसहारा
जिन्हें माना था,आँखों का तारा
उन्होंने किया,आंसुओ को खारा
अब डराता है,चेहरा भी हमारा
कई पर्दों में खोया चेहरा हमारा
शीशे से कर लिया,मैंने किनारा
जो देखा शीशे पे शीशे का पारा
यह जगत,केवल स्वार्थ का मारा
बिन स्वार्थ कोई नही यहां हमारा
मां-बाप,भाई-बहिन,सुत और दारा
सबसे अब मन भर गया,हमारा
यह जग,बस मतलब का संसारा
छोड़ दे,साखी सकल प्रपंच सारा
ले बालाजी की भक्ति का सहारा
वही कश्ती बचाएंगे,जग की धारा
सौंप,बालाजी को जीवन पतवारा
वही अंधियारे में करेंगे उजियारा
जपता रह हनुमत नाम,जग तारा
बनेगा एकदिन बालाजी का प्यारा
अनायास होगा,तू साखी भव पारा
पर जिसका मन है,यहां पर हारा
वहां न खिलता,खुशी पुष्प दुबारा
खुद को दे,तू ख़ुदी का वो सहारा
पत्थर से निकल जाये,जल धारा
बालाजी नाम का लगा जयकारा
बाला से मिलता हौंसला,अपारा
उनको समर्पित कर जीवन सारा
उन पर तू छोड़कर तो देख,भारा
तेरे पतझड़ जीवन में होगी बहारा
जिसने बालाजी को माना आधारा
वो बन गया फ़लक ध्रुव सितारा।
