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Arun Gode

Tragedy

4  

Arun Gode

Tragedy

शाहाजीराजे.

शाहाजीराजे.

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मालोजीराजे की थी दो संतान,

शाहाजी, शरिफजी थे सुफीसंत के नाम.

हिंदु-मुसलिम की नहीं थी अलग पहचान,

नामसे हुआ था धर्मनिर्पेक्षता का सिंचन.


मराठा साम्राज्य के वास्तुकार की थी पहचान,

जिजा-शाहाजी का था वह स्वराज्य नियोजन.

शाहाजी राजे थे निजाम शाही में फर्जन,

अहमदनगर, बीजापुर के थे महा पराक्रमि सुलतान.


मृत निजाम शाही को दिया था नया-जीवनदान,

बाल मुर्तजा शाह द्वितीय को किया सिंहासनासीन.

निजामशाही की संभाली थी खुद ही कमान,

शाहाजी राजे ने उतारा था मौगली निशान.


खपा हुआ था दिल्ली बादशाहा शाहाजान,

शाहाजान-आदिलशाहा ने किया संयुक्त आक्रमण.

शाहाजीराजे ने कई मोर्चों पे विफल किया आक्रमण ,

लेकिन निजामशाही बेगम ने मांगा था अभयदान.


जिजा-शाहाजी का विफल हुआ था अभियान,

निजामशाहीके हुए थे दो भाग एक समान.

आदिल-मौगलो का निजामशाही पर फिर शासन,

समझौते में मिला था शाहाजी को अभयदान.


मराठा साम्राज्य का देना पड़ा था बलिदान,

शाहाजी, पुत्र संभाजी ने किया कर्नाटक में आगमन.

बंगलुरु जागीरदार की संभाली थी कमान,

महारानी जिजाउ से शाहाजी ने लिया था वचन.

शिवाजी-जिजाउ मिलकर पूरा करेंगे उनका स्वप्न,

मराठा साम्राज्य निर्माण का शिवा ने छेड़ा था अभियान.

शिवाजी ने संभाली मराठा साम्राज्य की कमान,

मौगल-आदिलशाही को दक्कन में किया परेशान.


शाहाजान ने शाहाजी को दिया फरमान,

शिवाजी से रोकने को कहां दक्क्न अभियान.

पिता के आज्ञा का पुत्र ने किया था पालन,

अगले चार साल तक रोका था दक्कन अभियान.


मराठा साम्राज्य का वास्तुकार था वह महान,

शिकारी हादसे में शाहाजी का हुआ था निधन.

संभा, शिवा, एकोजी, कोयाजी, संताजी सभी महान,

शूर-विर, पराक्रमी शाहाजी की थी वे पांच संतान.


भारत में मराठा साम्राज्य का हुआ था गठन,

शाहाजी के पांचों पुत्रों का था अपार योगदान.

अगर शिवा-सांभा को न मिलता असमय मरण,

गुलामगिरी का मिट जाता जड़ से नामो निशान . 



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