आहट आहट
हम बयान देते रह गए हम बयान देते रह गए
रेत - सी कुछ यूँ घुली है ज़िन्दगी की सूखे पत्ते सी लगी है ज़िन्दगी ! रेत - सी कुछ यूँ घुली है ज़िन्दगी की सूखे पत्ते सी लगी है ज़िन्दगी !
बढ़ चले थे हम एक नये सफ़र पर ये हश्र होगा,पर कभी सोचा ना था। बढ़ चले थे हम एक नये सफ़र पर ये हश्र होगा,पर कभी सोचा ना था।
कितना चलुं तेरी राह पर मै, ख़ुद के निशान भूल जाऊँगा है फ़िक्र तुझे मेरी तो जता तो सही! कितना चलुं तेरी राह पर मै, ख़ुद के निशान भूल जाऊँगा है फ़िक्र तुझे मेरी तो जत...
वाजिब काम न बने, आमजन बनता निशान वाजिब काम न बने, आमजन बनता निशान