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शालिनी गुप्ता "प्रेमकमल"

Tragedy

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शालिनी गुप्ता "प्रेमकमल"

Tragedy

घाव गहरा था बहुत

घाव गहरा था बहुत

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बढ़ चले थे हम एक नये सफ़र पर

ये हश्र होगा,पर कभी सोचा ना था

चेहरे पर तो, मुस्कान सजी थी मेरे

पर आँखो में दर्द, छिपा बहुत था

दिल तो दुखता था, बहुत मेरा भी

पर दर्द मेरा,कोई समझता ना था

जब दर्द के निशाँ उभर,दिखने लगे

सलाह का नमक तो, सभी के पास था

पर दर्द ए मरहम किसी के पास ना था

बाद में सब कहते है,बताया क्यों नहीं

पर जब सुनाया तो,कोई सुनता ना था

घाव गहरा था बहुत,पर दिखता ना था.


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