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शालिनी गुप्ता "प्रेमकमल"

Romance

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शालिनी गुप्ता "प्रेमकमल"

Romance

हाँ ! वह कॉफ़ी ही तो थी..

हाँ ! वह कॉफ़ी ही तो थी..

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हां वह कॉफी ही तो थी ...

जिसके सहारे हमने गुजारी थी कितनी शामें 

हाँ, वह कॉफ़ी ही तो थी....

जिसका कप थामे, हमने की थी कितनी मुलाकातें 

हाँ, वह कॉफ़ी ही तो थी..जिसे थाम 

बिना कुछ बोले,आँखों ही आँखों में की थी कितनी बातें 

हाँ,वह कॉफी ही तो थी..

जिसके साथ बुनी थी हमने, वादों और ख्वाबों की गाँठे 

हाँ, वह कॉफ़ी ही तो थी.. 

जिसके हर घूँट से जुड़ी थी,हमारी कितनी खट्टी मीठी यादें 

हाँ, वह कॉफ़ी ही तो थी..जिसके पीछे से झाँकते 

तेरे खूबसूरत चेहरे को, मेरी नजरों ने पहली बार छुआ था 

हाँ वह कॉफ़ी ही तो थी ..जिसके बहाने से,  

कितने ही खूबसूरत लम्हों को.. तेरे साथ.. मैंने जिया था 

हाँ वह कॉफ़ी ही तो थी..जिसके साथ 

आँखों से लेकर,हाथ पकड़ने तक का सफ़र तय किया था 

हाँ,और वह कड़वी कॉफ़ी ही थी..जिसके साथ..

मैंने तेरे इकरार और इनकार तक का सफ़र तय किया था.

....हाँ वह कड़वी कॉफ़ी ही तो थी...



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