तुम आ जाओ
तुम आ जाओ
आसमान के आँगन में, एक बागीचा बनाया !
उसे, बादलों से मैंने खूब सजाया !
मैं हीर बन ! तुम्हारा इंतज़ार करती हूँ !
नित नया श्रृंगार करती हूँ !
शरीर के पार, एक धार जोड़ती !
दुनयावी बंधनो को पीछे छोड़ती.
तुम भी रूह बन आ जाओ !
मैं गुज़र जाउंगी पार तुम्हारे,
तुम, मेरे आर -पार हो जाना !
हाथ पकड़ लेना, मेरा कसकर !
सब बंधनो को तार -तार कर देना !
मैं काली, ना तुम गोरे,
हर पहचान , खूंटी पर टाँग !
तुम ही मेरी , पहचान हो जाना!
बादलों का एक पर्दा, झीना सा टाँग लिया !
लाल रंग भी, इंद्रधनुष से मांग लिया !
इक आरज़ू बाकी, दुल्हन बनने की !
छोटा सा यह काम कर देना,
कि, तू मेरी मांग भर देना !
कुछ सपने रख छोड़ें हैं,
बादल की अलमारी में !
सितारों को भी तोड़ लिया !
बस !तुम आ जाओ, प्रिय !
मैंने सब कुछ जोड़ लिया है !