विस्तार
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रूठ जाना उसका, ख़ामख्वाह
बेबात की बात पर।
अजीब से हालात में,
अनोखे जज्बात पर।
मेरी माँ, हमारी मां ,
उसकी भी मां कब बन गई?
रूखे बालों वाला,
पिचके गालों वाला,
नेपाली तुनक मिजाज लड़का,
नौकर से मालिक बनता नजर आता।
चार भाई/बहनों की मां,
कब सिर्फ नेपाली की मां बन गई?
प्यार का सार, प्रेम का विस्तार,
असार में सार ,
मान न रख पाया किसी बात का अपनी मां के।
विरोध का आधार में ही बना,
मां के ममत्व के असीमित विस्तार का ।।
चुपके/चुपके मां रो लेती थी,
आधी/अधूरी नींद में उसकी रातें कटती थी।।
प्यार को सीमित कर देना,
पर क्या संभव था ? नहीं, नहीं, नहीं ।।
मेरी मां ने खामोशी से बताया था ।।