गुरु
गुरु
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सिर को प्यार से, अगर उस दिन न सहलाया होता ?
“बेटा “ कह पास न बिठाया होता ।
ना जाने मैं, क्या से क्या हो गया होता ?
एक दिशा दे दी, प्यार भरे स्पर्श ने
वो स्पर्श , पिटाई का भी हो सकता था
जैसे अक्सर होता था ।
वो स्पर्श आपका न होता गुरुजी
तो मैं कक्षा में द्वितीय न आया होता ।
स्पर्श ने आपके ,ज़िंदगी को मेरी वो ख़ूबसूरत मोड़ दिया ।
मुझे क्या से क्या बना दिया ।।
नमन । शत/ शत नमन ।।