किरदार तो बस तू ही था
किरदार तो बस तू ही था
तू करता रहा कोशिशें मेरे ख्वाबों में बसने की
हमें नींद आई ही नहीं,कि करवटे बदलते रहे
तू सिखाता रहा ताउम्र, मुझे जिंदगी के सबक
और हम हमेशा ही अपने उसूलों पर अड़े रहे
हम तो बहते रहे हमेशा, तेरे रंग में संग संग
बस जिंदगी के ही हरपल,किनारे बदलते रहे
खुशियों से ज्यादा तो, शिकायतें थी शामिल
तन्हाई उनकी हो या मेरी, बस दर्द बदलते रहे
क्या करुँ कि लिखना आता है, सिर्फ़ दर्द ही मुझे
किरदार तो बस तू ही था, बस फ़साने बदलते रहे।