STORYMIRROR

Abhay kumar Singh

Romance

4  

Abhay kumar Singh

Romance

ऐ मेरी शाम मेरा इंतज़ार मत करना।

ऐ मेरी शाम मेरा इंतज़ार मत करना।

1 min
30

ऐ मेरी शाम

मेरा इंतज़ार मत करना।


 तु खुद में खुद संवरना, 

मेरी उन गलियों से गुजरना, 

अपने दिल की आरज़ू में 

मेरे लिए रश्क मत करना। 


मैं उसको भूल चुका हूँ, 

तुभी मुझको भूल जाना,

मेरे काफिरानें अंदाज से

अब प्यार मत करना।


ऐ मेरी शाम

मेरा इंतज़ार मत करना।


एक लड़का जो शायराना 

सा दिवाना था, 

तबियत से तुम्हारे

दिल का परवाना था... 


वो मिलता था सबसे

पर आहें तुम्हारे लिए भरता था, 

शक्ल सूरत तो बस यू ही थी, 

पर रोज सजता संवरता था, 


वो जाया तुम्हारे दरवाजें

पर आबाद था, 

वदन की महक और 

संगमरमर जैसी होठों को देख, 

तुम्हारे इश्क़ में बर्बाद था, 


उसके अश्क में तुम ही थीं, 

मोहलत में तुम्हारे लिए जीता था 

अब उसके घड़ी से वक्त गिर चुका हैं, 

इश्तिहार मत करना... 


ए मेरी शाम 

मेरा इंतज़ार मत करना... 



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance