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Abhay kumar Singh

Romance Inspirational Children

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Abhay kumar Singh

Romance Inspirational Children

मैं तेरा होता तु मेरी होती

मैं तेरा होता तु मेरी होती

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तेरी नम आंखें प्यारी सी बोली

 तू हुई जुदा फिर भी ना बोली

 तेरा मेरा रिश्ता कैसा


थोड़ा पर मोहब्बत जैसा

तेरी सरगोशी जो होती 

दरक जो था वो भर दी होती

तू हां कह देती 

मैं तेरा होता तू मेरी होती।


जब से देखा था तुझको

ख्याल भरा वो चाहत था, 

तू गोरी थी, मैं काला था, 

प्यार बना मतवाला था, 


फितूर था मेरे अन्दर 

पलट के तु हां बोली होती, 

खुद को तब मैं रोक लेता 

मैं तेरा होता तु मेरी होती।


जानेमन तेरा चेहरा 

आज भी हमें सताता हैं, 

सपने में आकर हमको

गुज़रे लम्हें याद दिलाता हैं


मैं देखता जिस कदर तुझे

शायद तू समझी होती 

आज कुछ कहना ना पड़ता

मैं तेरा होता तू मेरी होती।


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