पचपन का प्रेम
पचपन का प्रेम
जो मैं हूँ साठ बरस का,और तू है पचपन की,
वृद्धाश्रम में बात करे,कुछ प्यारे से बचपन की,
देखो पहला प्रेम पत्र हैं, कुछ तो अब लजाओ न,
कुछ इसके भी उत्तर में,प्रेम गीत गाओ न,
मिलेंगे दिल से दिल हमारे,बात करे कुछ धड़कन की,
छोड़ो सारी दुख की राते,बाते छोड़ो उलझन की,
आओ डूब कर प्रेम में भी,करे बाते मुहब्बत की,
आओ चलो फिर एक हो जाये,बाते हो कुछ अपनी सी
बहुत था दुख जीवन मे,चलो जरा भूल जाये न,
सोच जरा ये बचपन अपना,पचपन की उम्र के गीत गाये न,
आज लिखा है प्रेम पत्र भी,तुम भी कुछ कह जाओ न,
न लिखना हो कागज पर तो,नैनो से कह जाओ न,
दिल जब हो एक हमारा,सोचे फिर क्यो दूजो की,
चलो करे फिर प्रेम की बाते,लरें के उस यौवन की।।