रंग
रंग
जीवन का हर एक चित्र
जब श्वेत श्याम था
ना जीवन में रंग था
ना रंगो का नाम था
बेरंग गगन था बेरंग धरा
बेरंग शहर की हर एक गली
बेरंग तितलियां बेरंग विहग
बेरंग बाग की हर एक कली
तब बनकर चितेरी तुमने
जीवन में इंद्रधनुष सा लाया था
लाल हरा नीला पीला
हर एक रंग खिल आया था
अब हर एक चित्र सतरंगी है
ना रही रंगो से कोई दूरी
हर सुबह सुनहरी है मेरी
हर शाम है मेरी सिंदूरी
फ़िजा में रंग बिखरा हो अब
जब भी तू मेरे साथ चले
हो जीवन की हर सुबह साथ
तेरे संग ही हर शाम ढले।