तेरा शहर
तेरा शहर
तेरा शहर अजीब लगता है
कभी तन्हा होता हूं, तो कभी दिल के करीब लगता है
ये तेरे हुस्न की खता है
या जुनून मेरे इश्क का
यहां हर शख्स मुझे अपना रकीब लगता है
रोशन आफताब
चमकता महताब
आलीशान इमारतें
और सारी तब ओ ताब
सब कुछ है यहां
बस तेरे ना होने से ये कितना गरीब लगता है
लम्हात ए हिज्र अब और न बढ़ा
तकता हूं राहें तू लौट के आ
तेरा आइना भी ज्यादा खुशनसीब लगता है
ये तेरा शहर मुझे अजीब लगता है
(रकीब ~ प्यार में प्रतिद्वंदी, आफताब~ सूरज, महताब~ पूनम का चांद, तब ओ ताब ~ चमक दमक, हिज्र ~ जुदाई)