कि खुशियाँ ही मिलें, सबको मेरी वजह से, कि खुशियाँ ही मिलें, सबको मेरी वजह से,
चाहने की तुझे की है ख़ता ये मगर बेजा नहीं पत्र जो लिखा मगर भेजा नहीं। चाहने की तुझे की है ख़ता ये मगर बेजा नहीं पत्र जो लिखा मगर भेजा नहीं।
क्या ये मेरी खता क्या ये मेरी खता
है ना खता तुम्हारी समझ सकी ना हमको शायद ना आया हमको समझाना ! है ना खता तुम्हारी समझ सकी ना हमको शायद ना आया हमको समझाना !
है खता मेरी या इल्ज़ाम तुम्हारे। है खता मेरी या इल्ज़ाम तुम्हारे।
हर पल हर लम्हा वो मुझको याद आया करती थी, देकर यादें दस्तक उसकी तन्हाइयों मेंं मुझे रुलाया कर... हर पल हर लम्हा वो मुझको याद आया करती थी, देकर यादें दस्तक उसकी तन्हाइयों में...