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Randheer Rahbar

Romance

3  

Randheer Rahbar

Romance

जब तक मैं बेहोश हूँ

जब तक मैं बेहोश हूँ

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जब तक मैं बेहोश हूँ

तुम होश में रहना !

गर मैं ना कुछ बोलूँ

तुम ख़ामोश मत रहना !


 इतनी क्यूँ दूरियाँ ?

 बनती क्यूँ मगरूर हो ?

 कुछ पल मेरे पास ही रहना !


देखो ! रुख़सत को मुसाफ़िर

मेरे सब यार आये हैं 

तुम क्यों नज़रें झुकाती हो

जानता है सब ये ज़माना !


सुर्ख़ आँखें तुम्हारी

पलकें भी नम हैं

बहुत देर हो गयी

बेकार है अब यूँ 

आँसू बहाना !


है ना खता तुम्हारी,

समझ सकी ना हमको,

शायद ना आया हमको समझाना !


लो! अब तो वक़्त-ए रुख़सत हुआ मुसाफ़िर ,

हो गए तैयार सब,

है अब ज़नाज़ा उठाना ! 


अलविदा कैसे कहूँ तुम को

ये रस्म है ऐसी,

आँखें बंद, लब भी सीले हैं,

अब तो मेरे बस में कहाँ

दिल को धड़कानाा !


जब तक मैं बेहोश हूँ

तुम होश में रहना !

गर में ना कुछ बोलूँ

तुम ख़ामोश मत रहना !


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