"मैं कौन हूँ"
"मैं कौन हूँ"
1 min
485
मैं कौन हूँ ?
ये पूछता है मेरा अक्स अक्सर मुझसे ।
मेरा जवाब सिर्फ़ ये,
कि तेरी बिसात तो सिर्फ़ जिस्म तक है ए- साये,
तू कायम है सिर्फ रौशनी में।
मैं एक विचार हूँ ,
मेरा सफर है ज़हन की परतों में,
फिर न धूप और
ना अँधेरे ही मुझे मिटा सकते हैं,
सदियों तक घूमता रहा हूँ मैं,
पन्नों दर पन्ने रंगे जाते हैं मुझसे।
बस यही हूँ मैं और
मेरी ख़्वाहिश है यही
कि दर हो तेरा , दिल भी तेरा
और मैं भी तेरा हमेशा-हमेशा।