सरहद
सरहद
पड़ी जो लकीर मन पर
बंटे दिल और जन्मी सरहद
आँसू दिए हैं
लहू बहाया है
और ना कुछ दे पाई सरहद
इन्सां का लहू तो सुर्ख है
फिर जन्मी हैं
क्यूँ ये सरहद ?
हवा तो बही है
और बहेगी
भावनाओं की
लहर को
रोक ना पाई सरहद I
पड़ी जो लकीर मन पर
बंटे दिल और जन्मी सरहद
आँसू दिए हैं
लहू बहाया है
और ना कुछ दे पाई सरहद
इन्सां का लहू तो सुर्ख है
फिर जन्मी हैं
क्यूँ ये सरहद ?
हवा तो बही है
और बहेगी
भावनाओं की
लहर को
रोक ना पाई सरहद I