"हम तुम"
"हम तुम"
आसमानी धुन चढ़ रही है
मन जो तेरे
आँखें खोलो
खिल रहे हैं वो सवेरे
हवा है सन सन
बह रही है
सुन ले मन की
जो कह रही है
बहती कल कल
जल ये धारा
नित्य करती याद
जो तुझको है पुकारा
किरणों से रोशन सूर्य की
जो धरा है
तेरा चेहरा उज्जवल
सुबह -सा चहक रहा है
ये अँधेरे सन सना सन
कह रहे हैं
तेरी बाँहों में जैसे
मन बह रहे हैं
ये करवटें अब
ऐसे ढह रही हैं
तेरे मन की
मेरे मन से कह रही हैं
मौन चंदा
मुस्कुराता जा रहा है
तेरी आँखों का काजल
कुछ कह रहा है
अब तो ऐसे मत बनाओ
यूँ ही बातें
कट न जाएँ
बातों ही बातों में ये रातें
सुन लो लहरें मन में
जो उठ रही हैं
ना कुछ कहो, सन्नाटे की
शहनाई बज रही है
मौन तुम हो
मौन मैं भी
सो गई ये दुनिया सारी
आओ जी लें अब अपनी बारी
प्यार की धुन जो
बज रही है
ये रात तारों सी
जो सज रही है
हम तुम तन मन
खत्म अब हो ये
सन ना न सन सन
एक हों ये तन मन - तन मन।