कोरोना
कोरोना
ये अफवाह और भय भी
कितना अजीब है
कितना दूर चला जाता है
वो जो करीब है
ये कोरोना वायरस
को ही लो
जब से आया है
अपने यहाँ वो
सब बदल बदल
सा गया है
जानें क्यूँ सब
थम सा गया है
वो खूबसुरत चेहरे
नकाब पोश हो गए
ये दिल सिर्फ नज़रों की
बोली समझने में ही रह गए
हर रोज़ जो मिलते थे
वो हसीं पल
ढूंढता है मन उन्हें
जाने कहाँ खो गए
वो शायरी
ठहर सी गई है
अहसास की सांसें
सहरा यूँ हो गई हैं
छोड़ो ये नजदिकियां
छुओ ना छुओ ना
जीना है अगर
ऐसे तुम रहो ना
जब तक है कोरोना
ऐसे जीया जाये ना जायेना
यार कुछ तो करोना
मत इतना ड़रो ना
कैसे समझायें इस पल को
ये मत करोना
हाँ भई हाँ
आया कोरोना।