Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

सीमा शर्मा सृजिता

Tragedy

5.0  

सीमा शर्मा सृजिता

Tragedy

तुम खुश क्यों नहीं हो?

तुम खुश क्यों नहीं हो?

1 min
470


अपने आंगन से उखाड़ 

मनचाहे आंगन में रोप दिया तुमने 

बिना ये जाने कि 

हवा, धूप, खाद ,पानी 

उसे मिलेगा कि नहीं 

फिर भी वो उगती रही 

तुम खुश थे। 


मां -बहन की गालियों में 

शोभित कर उसे गर्वित रहे तुम 

मगर तुम्हारे लिए 

सौभाग्यवती भव : 

पुत्रवती भव : के आशीष 

वो सिर माथे धरती गई 

तुम खुश थे।


मन चाहा जब तुमने 

जड़ दिये थप्पड़, लात - घूंसे 

रौंदी पैरों तले आत्मा उसकी 

घायल होकर खुद 

तुम्हारे जख्मों पर 

मरहम वो मलती रही 

तुम खुश थे।


सिर्फ एक शब्द सिखाया था 

तुमने उस अनपढ़ को

' हां ' और वो सीख गई 

नजरें झुका अबला बन 

तुम्हारी हर अच्छी बुरी बात पर 

बस हां करती रही 

तुम खुश थे।


आज जब सदियों की खोज के बाद 

उसने ढूंढ़ लिया है 'ना ' शब्द 

और बोला है चिल्लाकर 

तुम हैरान क्यों हों ?

इतना परेशान क्यों हों ?

किस बात का दुख है? 

तुम खुश क्यों नहीं हो? 


सदियों के मौन के बाद तो 

आज निकली है उसकी चीख 

तुम सुन क्यों नहीं पा रहे ?

देखो! तुम्हारे कान से बह रहा है रक्त 

और उसी रक्त से तुम लिख रहे हो 

उसके नाम के साथ 

बदजुबान, बेहया, बदचलन जैसे शब्द।


उसकी उभरती नई पहचान पर 

बडे़ संघर्ष के बाद बने इस नाम पर 

उसकी मुस्कराहटों पर 

उसकी चाहतों पर 

तुम्हें खुश होना चाहिए 

सुना तुमने! 

तुम्हें खुश होना चाहिए।

     



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy