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सीमा शर्मा सृजिता

Tragedy Inspirational

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सीमा शर्मा सृजिता

Tragedy Inspirational

ईश्वर की आंखों का तारा

ईश्वर की आंखों का तारा

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कितनी ही कामनाएं मसली है मैंने

 अपने कोमल हृदय पर खिलखिलाती 


कितने ही ख्वाब नींद के साथ ही जाने दिये 

मैंने रोका तक नहीं 


दूसरों के लिए न्याय की देवी बनी मगर कर बैठी 

अपने ही साथ अन्याय कई दफा 


मेरी रूह को चाहिए थी तृप्ति 

जो मिलती थी प्रेमी का नाम भजने से 


मगर जिस दुनिया में मैं रहती हूं 

वहां किसी जीव की मृत्यु गुनाह नहीं है 

मगर प्रेमी की बात करना गुनाह है 


जिस दुनिया में मैं रहना चाहती हूं 

वहां चींटी की मौत पर भी मनाया जाता है शोक 

दी जाती है सजा 

और प्रेमी की बातों पर मुस्कराया जाता है&nbs

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मैं अदृश्य होना चाहती हूं 

मरना नहीं चाहती अभी 

अभी मुझे लिखनी हैं प्रेम कविताएं 

ऐसी आवाज हर रोज आती है भीतर से 


कितनी अद्भुत बात है ना !

मैं जब जब मार देना चाहती हूं अपने बाहर के इंसान को 

मेरे भीतर का कवि बचा लेता है 


कवि जानता है जीवन क्षणिक है 

मृत्यु अंतिम सत्य 

मृत्यु की गोद में जाने से पहले उसे लिखनी हैं कविताएं 


ईश्वर जब मांगेगा कवि से कर्मों का हिसाब 

कवि रख देगा ईश्वर के चरणों में अपनी कविताएं 


कविता लिखने वाले जमाने की नजरों में चुभते हों 

मगर ईश्वर की आंखों का तारा होते हैं ।

  


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