तेरे पीछे न आऊंगा
तेरे पीछे न आऊंगा
ये रंगीन गलियां
तू बनी है तृष्णा के
घनी आबादी में
तुझमें रंग भरते हैं
किसी के बर्बादी में
तेरे पास आश का
कोई बगीचे न लगाऊंगा
अब मैं तेरे पीछे न आऊंगा I
तेरी मधुर ध्वनि ये
मासूमों के चीखों से बनी है
तेरी ये दमकती आभा
ज़ख्मों के टीसों से बनी है
तुझमें रखा जो भी कदम
तेरा अंत तक जाने
भागा वो हरदम
तेरी ख्वाब भी बैठ देखने
अब न कोई गलीचे लगाऊंगा I
अब मैं तेरे पीछे न आऊंगा
अब मैं तेरे पीछे न आऊंगा।
