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मानव सिंह राणा 'सुओम'

Abstract

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मानव सिंह राणा 'सुओम'

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रिश्ते

रिश्ते

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बात सहते रहे रिश्ते रहते रहे।

बात बढ़ती रही रिश्ते ढहते रहे।


तुम समझे नहीं हम सहते रहे।

जब हम चुप रहे रिश्ते रहते रहे।


तुम तलक बात मेरी पहुँची नहीं।

तुम हो मेरे ही अपने कहते रहे।


अनकहा कितना तुम कह गए।

रिश्ता बिगड़े नहीं हम सहते रहे ।


आँख नाक मुंह कान हमारे बंद है।

'सुओम' के रिश्ते सदा बचते रहे।


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