मंजिले अभी और भी हैं
मंजिले अभी और भी हैं
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परेशानियों के कई छोर भी हैं।
हताशा लिए वो कई और भी है।
नही ठहरो यहाँ चलते जाओ तुम।
समझो कि मंजिले अभी और भी हैं।
खुद को देख सदमा लिए बैठे हो
तुमसे गम में वो कई और भी है।
एक एक मोहल्ले में चर्चा है।
आँख नम लिए वो कई और भी है।
तुम्है देखकर'सुओम'हर आस जगी
रचनाकार यहाँ कई और भी है।