शब्दों का सफर
शब्दों का सफर


शब्दों का भी अपना ज़ायका होता है
लेखक इनसे वाक़िफ होता है
लेखन का महत्व तब और बढ़ जाता है
जब इन्हें मोती की तरह पिरोकर
लेखक कागज़ पर बंया करता है
समाज के सच को उजागर करता है
तलवार से युद्ध तो कर्मवीर जीतते हैं
विचारों की जीत लेखक तय करता है
लेखक रहे या न रहे कल
पर शब्द उसके हमेशा रहेंगे अमर।