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Kavita Sharrma

Abstract

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Kavita Sharrma

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कोई अपना....

कोई अपना....

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 जब तक सर पर साया है किसी हमदर्द का
 जिंदगी सुकून से गुज़र सकती है
 कोई है अपना इससे जीने की हिम्मत मिलती है
 कोई एक है जिसे हमारी फ़िक्र भी रहती है
 बस उसी साये में जिंदगी धूप से सुरक्षित रहती है।


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