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प्रीति शर्मा "पूर्णिमा

Abstract

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प्रीति शर्मा "पूर्णिमा

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"कठपुतली "

"कठपुतली "

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मैं हूं तेरी कठपुतली

नाचूं तेरे हाथ में। 

चाहे हंसाये चाहे रुलाए

सब कुछ तेरे हाथ में। 

सब कुछ तेरे हाथ में।। 

खींच दे डोरी जब तेरी मर्जी 

चाहे दे दे ढील। 

खींच दे डोरी जब तेरी मर्जी 

चाहे दे दे ढील। 

आगे पीछे दायें बायें

करदे जीवन की तफ्सील। 

आगे पीछे दाएं बाएं

कर दे जीवन की तफ्सील। 

चाहे हंसाये चाहे रुलाए

सब कुछ तेरे हाथ में। 

मैं हूं तेरी कठपुतली नाचूं तेरे हाथ में... 

कभी लगवाए लम्बी छलागें 

कभी गड्ढे में गिरवाय। 

चाहे लगवाए ऊंची छलांगे 

चाहे गड्ढे में गिरवाय। 

चाहे उडांये पवन की माफिक 

चाहे मिट्टी सा मिटवाय। 

चाहे उड़ा दे पवन की माफिक

चाहे मिट्टी सा मिटवाय। 

चाहे हंसाए चाहे रुलाये

सब कुछ तेरे हाथ में

मैं हूं तेरी कठपुतली नाचूं तेरे हाथ में... 

कब जीवन में बसंत खिला दे

कब मौसम पतझड़ का है। 

कब जीवन में बसंत खिला दे

कब मौसम पतझड़ का है। 

होली मने मनायें दिवाली

कब जीवन मोहर्रम है। 

होली मने बनाएं दिवाली

कब जीवन मोहर्रम है। 

चाहे हंसाए चाहे रुलाए 

सब कुछ तेरे हाथ में

मैं हूं तेरी कठपुतली नाचूं तेरे हाथ में... 

कभी मिलाए अपनों से तू

कभी कराए राह जुदा। 

कभी मिलाए अपनों से तू

कभी कराए राह जुदा। 

जीना मरना तेरी मर्जी 

तू ही हम सब का खुदा 

जीना मरना तेरी मर्जी 

तू ही है हम सब का खुदा। 

चाहे हंसाए चाहे रुलाए 

सब कुछ तेरे हाथ में

मैं हूं तेरी कठपुतली नाचूं तेरे हाथ में ।



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