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Mukesh Bissa

Abstract

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Mukesh Bissa

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रे मन

रे मन

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मन कहीं दूर निकलना चाहता है

पर मन मेरा जा नहीं पाता है

ना जाने क्यों, मन को

इतना भाता है


ख़ामोश रहते हैं लफ़्ज मेरे

आंखे बातें करती है

मेरी हर एक सांस

तेरी आहें भरती है


जो तुम नहीं

तो हम नहीं

जो तुम हो

तो कोई गम नहीं


हम नहीं, पर

दिल मेरा रोता है

तू साथ नहीं पर

साथ फिर भी होता है


मेरी यादों में तू

हमेशा शामिल होता है

हम बैठे होते हैं तन्हा

जमाना महफ़िल में होता है।


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