मन करता है
मन करता है
मन करता है
दीपमालिका से निकले
प्रकाश को
स्नेह सलिल सुरभित कर
करोडों ज्येति पुँज बना कर
दीन दुर्बल में बाँट दूँ
उनके मन के गहरे अँधकार में
बन प्रकाश पुंज
जीवन के तिमिर को कुछ
कम कर दूँ
दीपपर्व के आनंद उल्लास की
झोली उनकी भर दूं
कुछ दुख बाँट लू और
बदले में हर्ष ढेर
सारा ही भर दूं
अपना जीवन साकार
कर लूं अगर मैं
दीप शिखा की कुछ प्रकाश को
झोला भर इन अँधेरे
दिलों में बाँट दूँ
इनके हृदय में
घिरा दिनपन
धन धान्य से भर दूं।