शेष
शेष
कभी बैठ कर सोचता हूं तो ये लगता है कि
मुश्किल तो हो गए कुछ काम आसान शेष है
उम्मीदें कायम है अभी हौसले ज़िंदा है
मंजिल पर पहुँचने का अरमान अभी शेष है
है दूर अब आदमी इंसानियत और रिश्तों से
आधुनिक दौर में बस नाम का इंसान शेष है
सजा रखे हैं बहुत से ख्वाब इन आँखों में
अब भी सजावट का बहुत सामान शेष है
बीता दिए फुरसत के हसीं पल उनके साथ
वो खुशनुमा मंजर का एहसास अब शेष है
कहाँ ले चल दिए तन्हा अकेला छोड़ कर
अंदा
ज ए दिल अर्व इजहार ए दिल शेष है
सुनाते है अब फ्लसाफा इस ज़िन्दगी की
बहुत से दे दिए मगर कुछ इम्तेहान शेष है
अब भी कोई हैं जो उसूलों पर जो चलता हैं
अब भी कुछ लोग हैं जिनके अभी ईमान शेष है
जानने लगे है अब मुझे भी लोग दुनिया में
मगर ख़ुद से ख़ुद की मुलाकात अभी शेष है
रोज़ होती हैं जी भर के बातें उनसे रात भर
पर क्यूं आज भी ये इजहार ए प्यार शेष है
मैं सोचता हूं कह दूं वो सारी बातें दिल की
पर अंदर उठता ये अहम का जलजला शेष है।