पथिक
पथिक
पथिक को जीवन पथ पर बढ़ना है
है विपरीत परिस्थितियां
है विषमताओं का संगम
है संघर्ष सत्य पथ का
कठिन धाराओं से निकल
पथिक को जीवन पथ पर बढ़ना है
है कंटक भरे पहाड़
है राहे पथरीली
है दौर ये गर्दिश का
है गर्म हवाओं का डर
जीवन की रणभूमि में
पथिक को जीवन पथ पर बढ़ना है
कहीं है पराजय की पीड़ा
थोड़ा विचलित मन
निज राह चल निरंतर
मुश्किल नहीं डगर
पथिक को जीवन पथ पर बढ़ना है
हिम्मत का शोला हृदय में
तू ना अब बुझने देना
दूर भले हो मंजिल
कदम को मत रोक
माना कि ये मुश्किल होगा
तपन- जलन महसूस होगा
सूरज स्वर्णिम किरणों संग होगा
अडिग हो कमर कस निकल
पथिक को जीवन पथ पर बढ़ना है
जो लक्ष्य को दिल में लेकर चलता
वो गर्म अंगारों का भय कहाँ रखता
जो रखता उड़ान हौसलों की
इतिहास वही फिर रचता है पथिक को जीवन पथ पर बढ़ना है