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Gurudeen Verma

Abstract

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Gurudeen Verma

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मुझको विश्वास है ऐसा

मुझको विश्वास है ऐसा

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बुझे नहीं वह चिराग,

किसी आते तूफां में।

महकता रहे वह चमन,

हर वक़्त हर बयार में ।

झिलमिलाता रहे वह सितारा,

सितारों के संग चांदनी में।


ना कोई भय - दुःख में,

ना कोई दर्द- गम हो,

ना कोई सितम- जुल्म हो,

ना कभी उदासी- मायूसी हो

उसके दिल और चेहरे पर,

उसको उन महलों में ।


उस हसीन चेहरे को

खुदा ने देखा है हमेशा,

खुद अपनी निगाहों से,

समझा है उसकी मजबूरी को,

खामोश उसके लबों से।


कहा है खुदा ने उससे,

हकीकत होंगे तुम्हारे सपनें,

खिल उठेगी तुम्हारी बगियाँ,

महक उठेगी तुम्हारी फिजा,

जल उठेगी तुम्हारी शमां

जाग उठेंगे तुम्हारे अरमां,

देखकर तुम्हारी दुहा को।


देखकर उसकी काबलियत को,

उसकी आँखों की चमक को,

उसकी हिम्मत और विश्वास को,

सच इस जमीं - दुनिया में,

होगा रोशन उसका नाम, 

मुझको विश्वास है ऐसा।


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