क्या यही प्यार है, जले खुशियों के दीये। क्या यही प्यार है, जले खुशियों के दीये।
क्या कल्पना के मात्र से, हासिल किसी को कुछ हुआ है। आसमाँ के जद की इच्छा, गर हमारे दि क्या कल्पना के मात्र से, हासिल किसी को कुछ हुआ है। आसमाँ के जद की इच्छा, ...
जिस्म महक उठता है जब धड़कनों पर सजे साज बज उठते हैं। जिस्म महक उठता है जब धड़कनों पर सजे साज बज उठते हैं।
वही बसेरा है सवेरा होते ही उड़ जाते हैं खुले आसमां में साँझ तले घोसले में। .. वही बसेरा है सवेरा होते ही उड़ जाते हैं खुले आसमां में साँझ तले घोसल...
जानती हूँ तू ख़ुद को निःशब्द पाएगी हाँ माँ तू इक दिन बहुत पछताएगी। जानती हूँ तू ख़ुद को निःशब्द पाएगी हाँ माँ तू इक दिन बहुत पछताएगी।
तिरछी नज़र, इक ग़ज़ल फिर अँगड़ाई लेती है ! तिरछी नज़र, इक ग़ज़ल फिर अँगड़ाई लेती है !