अबॉर्शन
अबॉर्शन
माँ तू निर्दयी है
माँ अबॉर्शन करवा तूने ले ली जान मेरी
पापा भी मेरी पीड़ा नहीं समझे न !
दादी माँ दादा जी भी मुझे इस दुनिया में
आने से पहले मारने के लिए राजी हो गए
माँ तू भी तो बेटी है
दादी माँ भी तो किसी की बेटी है न !
तू ही बता माँ
क्या बेटी होना गुनाह है ?
क्या बेटियाँ कुल का नाम
रोशन नहीं कर सकती ?
क्या बेटियाँ बोझ होती हैं ?
क्या बेटियों को जीने का अधिकार नहीं ?
क्या बेटियाँ सबसे बुरी होती हैं ?
क्या बेटे ही कुल का नाम रोशन करते हैं ?
हाँ माँ तू दे आज मुझे इन सवालों का उत्तर
जानती हूँ तेरे पास इन प्रश्नों का उत्तर नहीं है
माँ ख़ुद से पूछना कभी तू इन सवालों का उत्तर कभी
जानती हूँ तू ख़ुद को निःशब्द पाएगी
हाँ माँ तू इक दिन बहुत पछताएगी।