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कुमार संदीप

Tragedy

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कुमार संदीप

Tragedy

आँखों का तारा

आँखों का तारा

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मेरी आँखों का तारा

मेरा राजदुलारा

आज, मुझे ही

छोटी-छोटी बातों पर

चुप्पी साधने के लिए कहता है

हाँ, शायद आज वह बहुत बड़ा

और उसका पिता

उसकी नज़रों में

छोटा हो गया है।।


मेरी आँखों का तारा

मुझे पापा! पापा! 

कहते थकता नहीं था

आज, मुझे दिन में

एक बार भी

पापा! कहकर नहीं पुकारता है

हाँ, आज ख़ुद के जीवन में

वह बहुत व्यस्त हो गया है।।


मेरी आँखों का तारा

मेरा राजदुलारा

मेरी उंगली थामकर चलता था

तब जब वह 

चल भी नहीं पाता था

आज, मेरा लाडला

बड़ी गाड़ी से चलता है

पर एक पल के लिए भी

अपने पापा के निकट

नहीं बैठता है।।


मेरी आँखों का तारा

मेरे दिल के बेहद करीब 

था, है, और रहेगा भी 

भले ही वह भूल जाए

पिता के साथ गुजारे

अतीत की यादों को

मैं तो ताउम्र उसे

जी भर स्नेह अर्पित करूंगा।


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