मेरी प्रथम मुहब्बत
मेरी प्रथम मुहब्बत


आँखें खुलते ही
जब माँ तुमसे हुई पहली मुलाकात
सच कहता हूँ माँ,
वह दिन मेरे लिए
सर्वश्रेष्ठ दिन था
मेरी प्रथम मुहब्बत तुम थी माँ।।
एक संतान के लिए इससे बड़ी बात
भला और क्या होगी? माँ
आँखें ख़ुलते ही तुमसे हुई
वह पहली मुलाकात ताउम्र
स्मरण रहेगी। क्योंकि उस दिन
तुम्हारी आँखों में मेरे लिए
अनगिनत सपने थे, आज भी हैं।
ख्वाहिश यही है माँ कि
जब नयन सदा के लिए मूंद लूं
आखिरी मुलाकात के वक्त भी तुम सामने रहना।।