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कुमार संदीप

Others

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कुमार संदीप

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होली के दिन

होली के दिन

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होली के दिन,

हर्षित मन लेकर चले भ्रमण हेतु अमन जी,

रमन जी के आवास पर।


मन में था उनके कि

रमन जी भी होंगे मेरे आगमन से हर्षित।।


पर हुआ यूं, 

अमन जी के पहुंचते ही

रमन जी ने कचौड़ी की तरह

अपना मुंह फुलाया, और तब अपने मन को समझाया।।


और कहा अमन जी से 

"आपका हुआ आगमन

पर आपके आगमन से नहीं है

हर्षित मेरा मन।।"


तब अमन जी ने कहा,

"क्यों आखिर क्यों नहीं है आपके 

चेहरे पर ख़ुशी

जबकि मैं हूँ आपका परम हितैषी।।"


तब रमन जी ने जो बात कही

वो लाग देगी आपके चेहरे पर हँसी।।


रमन जी ने कहा,

"आपके आगमन से हर बार हो जाता हूँ दुखी

सच कहता हूँ, 

आपका है केवल तन सुंदर पर मन में है आपकी गंदगी भरी

सच कहता हूँ।।"



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