देते हो सदा सुख पलकों को, फिर क्षण में ओझल हो जाते हो ! देते हो सदा सुख पलकों को, फिर क्षण में ओझल हो जाते हो !
प्रिय तुम्हारे मन में बसी हुई हूं इतना तुम निभा जाओ प्रिय तुम्हारे मन में बसी हुई हूं इतना तुम निभा जाओ
पाकर प्यार तुम्हारा मैं धन्य हूँ ओ मेरी संगिनी। पाकर प्यार तुम्हारा मैं धन्य हूँ ओ मेरी संगिनी।
नहीं जानती किसे कहते हैं सोलमेट कोई तो बताओ ? नहीं जानती किसे कहते हैं सोलमेट कोई तो बताओ ?
तिरछी नज़र, इक ग़ज़ल फिर अँगड़ाई लेती है ! तिरछी नज़र, इक ग़ज़ल फिर अँगड़ाई लेती है !
गिला नहीं इस बात के मंजिल ने इरादों से पता बदल दिया है। गिला नहीं इस बात के मंजिल ने इरादों से पता बदल दिया है।