नन्हा बालक
नन्हा बालक
मिलते हो कभी कुछ लम्हों में,
न जाने कहाँ गुम हो जाते हो !
देते हो सदा सुख पलकों को,
फिर क्षण में ओझल हो जाते हो !
सूनेपन में, कुछ आहट से,
चौंक उठता हूँ, बिखरी हुई,
अनभूति को, क्षण में पिरोता हूँ !
चंचलता चपलता मुस्कुराता चेहरा,
लेकर तुम मेरे सामने यूँ आ जाते हो !
देते हो सदा सुख पलकों को,
फिर क्षण में ओझल हो जाते हो !
परिवर्तन से यह जग सारा चलता है,
पर तुम्हें देखने को मन सदा ही करता है !
आश्चर्यचकित, अचंभित परिवेशों में,
झट से तुम प्रकट आ जाते हो !
देते हो सदा सुख पलकों को,
फिर क्षण में ओझल हो जाते हो !
मिलते हो कभी कुछ लम्हों में,
न जाने कहाँ गुम हो जाते हो !
देते हो सदा सुख पलकों को,
फिर क्षण में ओझल हो जाते हो !!