2023 मिटाएगा पुराने गिले शिकवे।
2023 मिटाएगा पुराने गिले शिकवे।
कोरोना कुछ थमा था,
आर्थिकी कुछ गति में थी,
शिक्षा भी चरम पर पहुंची थी,
सब खुश दिखते थे,
अपने अपने रोजगारों में लगे थे,
अभी खेलों का भी,
महाकुंभ हुआ था,
कोई अधिक नुक्सान नहीं,
मिला था।
अचानक कोरोना,
फिर से,
गर्दन उठा रहा,
नये नये पैंतरे खेल रहा,
इंसानों की शक्ति,
परख रहा।
इंसान अभी तो,
ध्वस्त लग रहा,
पहला दौर,
शायद कोरोना के पाले में,
जा रहा।
लेकिन हम इंसान,
ठहरे पुराने खिलाड़ी,
अगर हम किसी के दोस्त,
हद से बाहर।
तो हमारी दुश्मनी भी,
नानी याद करा देती।
लगता है कोरोना भूल गया,
हमारी कोविशिलड मिज़ाइल,
ये जहां भी गिरी,
कोरोना को मात मिली।
ऐसा ही होगा,
फिर से,
इंसान जीतेगा जंग,
और मचाएगा हुड़दंग।