प्रेम कोई परीक्षा का मोहताज नहीं....।
प्रेम कोई परीक्षा का मोहताज नहीं....।
वो किसी से हंसकर क्या बोली,
ऐसा नहीं उसे तुमसे प्यार नहीं,
तुमने बिन सुने उसकी बात उसको ही ग़लत समझा,
और उसको परीक्षा की कसौटी पर रख दिया,
प्रेम किसी परीक्षा का मोहताज तो नहीं,
प्रेम तो खुला आसमां है जिसकी स्वतंत्र उड़ान है,
तुम जितना उसे बांधोगे उतना ही उसमें दरारें आएगी,
क्योंकि वो तो मोती की वह माला है,
जिसका अपना एक हिस्सा है अपना एक अस्तित्व,
प्रेम की मिठास तुम्हारे विश्वास की डोर है,
प्रेम की बुनियाद तुम दोनों का आपसी प्यार है,
जिसमें न शक की दीवार है न अधिकार की कोई बात,
रिश्ता तुम्हारा है अधिकार भी तुम्हारे है,
किसी एक का किसी एक पर हक नहीं,
तुम एक हो बस शरीर अलग,
दिल धड़कता बेशक तुम्हारे सीने में,
पर दिल तुम्हारा उसके पास है,
क्योंकि वो तुम्हारी आत्मा है और तुम उसकी धड़कन,
प्रेम किसी परीक्षा का मोहताज नहीं,
वो तो खुला आसमां है जिसकी स्वतंत्र उड़ान है।
