ममता की मूरत
ममता की मूरत
ममता की मूरत है मेरी मां प्यारी है ।
सारे जग की खुशियां की इक यही तो चाबी है ।
माँ को अब मनाना है ,जीवन सफल बनाना है ।
मेरे मन के मंदिर की इक यही ज्वाला है।
ममता की मूरत---
जीवन मे सुख दुख की रीति बताती है।
मिलजुलकर हम सब को,रहना सिखाती है।
धैर्य बनाये रखना,आशा जगाये रखना।
मन के इक कोने में दीप जलाये रखना।
माँ की एक झलक चैन दिलाती है।
बैचेनी को मेरी यह शांत कराती है।
ममता की मूरत---
कड़ी दोपहरी धूप में ,आँचल की छाया है।
चुन देती कंटक को,पुष्पों की माला है।
सुमन बिखराती है,सुगंध फैलाती है।
ममता के सागर में ,सर्वस्य लुटाती है।
ममत की मूरत
आँखों से कुछ न दिखें,पर चेहरा पढ़ लेती है।
पीड़ा में हो कितनी भी,पर पीड़ा समझ लेती है।
मुश्किल हो डगर,परआसान बना देती है।
जो आये आँसू तो,मुस्कान बना देती है।
जादूगर है वो,हर बात बदल देती है।
आशीषों की छाया सौभाग्य बदल देती है।
ममता की मूरत।