आशीर्वचन
आशीर्वचन
रात्रि के अंतिम पहर के बाद ,
भोर की उजली किरण के साथ ।
जन्मदिवस की हार्दिक बधाइयां हो ।
सत्य का हाथ पकड़ के तुम ,
अपना मार्ग प्रशस्त करो ।
अहिंसा का रूप धारण कर ,
स्व कर्म करते चलो ।
रात्रि के अंतिम पहर के बाद ---
अंबर का छोर हो हाथों में,
स्व विश्वास को इतना दृढ़़ करो ।
शैल है उँचा जितना,
स्वाभिमान को इतना ऊँचा करो।
रात्रि के अंतिम पहर के बाद -----
भार से फल की झुक गई डाली ,
तुम भी इतने विनम्र बनों।
मधुर झरने की ध्वनि कहती, मुझ सा सरल बनों ।
रात्रि के अंतिम पहर के बाद --
सुगंध फैली वन -उपवन में,
पुष्प के जैसे खिलना सीखों ।
सुख-दुख सहती धरा सभी ,
भू के जैसे धैर्यवान रहो ।
रात्रि के अंतिम पहर के बाहर ----
सर्वप्राणी का जीवन देता ,
सूर्य जैसे तेजवान बनो ।
क्षण-क्षण बदले रूप अपना ,
मेघ के जैसे गरिमामयी बनों।
रात्रि के अंतिम पहर के बाद ---
जो तारा है सर्वथा भिन्न,उसके जैसे यशस्वी हो।
वर्षों तक जन-जन की जिह्वा पर तुम,ऐसी स्वगाथा लिखो ।
अपने प्यारे- प्यारे पुत्र हेतु मेरे आशीर्वचन।
