रचना का शीर्षक होगा- यात्रा... चांद की चांद के साथ। रचना का शीर्षक होगा- यात्रा... चांद की चांद के साथ।
तुम हर वक्त साथ रहते हो कभी चाँद कभी सूरज से। तुम हर वक्त साथ रहते हो कभी चाँद कभी सूरज से।
किसी को चाँद में दाग नज़र आता है तो कोई उसे माहताब कहकर बुलाता है किसी को चाँद में दाग नज़र आता है तो कोई उसे माहताब कहकर बुलाता है
हाँ चंचल था मन बड़ा, भाग गया गठबंधन से किस पर आकर कब रुकेगा, ये तय होगा भावनाओं के पैमाने से हाँ चंचल था मन बड़ा, भाग गया गठबंधन से किस पर आकर कब रुकेगा, ये तय होगा भावनाओ...
उस पर जरा देखो इसकी गहराई को दिखता नहीं नयनों को खुद की परछाई लो। उस पर जरा देखो इसकी गहराई को दिखता नहीं नयनों को खुद की परछाई लो।
मैं रोज सन्ध्या को क्षितिज पर , जहां सुर्य अस्त होता है, तेरा इन्तजार करती थी। मैं रोज सन्ध्या को क्षितिज पर , जहां सुर्य अस्त होता है, तेरा इन्तजार करती थ...