विहार
विहार
जब यात्रा करता हूँ
कहीं की यात्रा !
तुम्हारे खयालों के साथ
मैं लिखता हूँ
कविताएं,
लोग प्रशंसा करते हैं...
किंतु मैं संतुष्ट नहीं होता
इसलिए क्योंकि
मुझे विश्वास है
मैं लिखूंगा
अपनी सर्वश्रेष्ठ कविता ,
जब जब, यात्रा करुँगा
इस शांत रात्रि में,
नभ का, पुकारते तारों का,
'सुधांशु का'
"तुम्हारे साथ"
रचना का शीर्षक होगा-
यात्रा...
चांद की चांद के साथ।